tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post3700893492239086727..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: कहानीरूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-26201035239800362062009-11-25T03:45:09.996-08:002009-11-25T03:45:09.996-08:00sharmaji,
vaatayan par aapki kahani padhi. bahut ...sharmaji,<br /><br />vaatayan par aapki kahani padhi. bahut dinon baad ek tarkik kahani padhne ka avsar mila. badhayee.<br /><br />KrishnabihariAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-58367665059090200202009-11-12T12:18:44.820-08:002009-11-12T12:18:44.820-08:00'तीन लंगोटिया यार' एक सार्थक और सटीक कहानी...'तीन लंगोटिया यार' एक सार्थक और सटीक कहानी है जो कथावस्तु, चरित्रचित्रण, वातावरण, उद्देश्य और शैली की दृष्टि से प्रभावशाली कहानी है. कहानी इतनी रोचक है कि शुरू करते ही पाठक की रूचि अंत तक बनी रहती है. कहानी के अंत तक कहानी को ऐसा मोड़ दिया है पाठक दंग रह जाता है और अंत में ही उद्देश्य और शिक्षा का पता चलता है. प्राण जी, कहानी के लिए आपको बधाई.महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-15125498787314963162009-11-12T09:59:19.481-08:002009-11-12T09:59:19.481-08:00आदरणीय प्राण जी कि कथा में धर्म, जाती व् रंग को ले...आदरणीय प्राण जी कि कथा में धर्म, जाती व् रंग को लेकर जो स्तम्भ कहानी में दर्शय है वह विचार योजक है. बहुत ही अछी उर्जा के साथ कहानी का आगाज़<br />हुआ फिर समय और सोच कि डरकर एक महाजाल बिच देती है. येः षड्यंता भी मन का रचा हुआ है..हर घर में, हर समाज में, हर मानव मन में समोहित है. कुछ पल के लिए उस्रंग के अहम् कि रौ में बह गया चिंतन, पर युद्घ थम जाना एक एक सकारात्मक संकेत है जो सोचने पर मजबूर करता है कि किस नींव पर रिश्ते कायम राह सकते हैं? कहानी में एक नया दृष्टिकोण है..<br />देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-20872695683373290102009-11-10T20:24:27.748-08:002009-11-10T20:24:27.748-08:00कथ्य का नयापन आकर्षक है। प्राण साब की लेखनी से उपज...कथ्य का नयापन आकर्षक है। प्राण साब की लेखनी से उपजा एक और कमाल...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-41513495529483137672009-11-10T14:28:38.242-08:002009-11-10T14:28:38.242-08:00अपनी व्यस्तता के कारण देर से आप के ब्लाग पर आ पाई,...अपनी व्यस्तता के कारण देर से आप के ब्लाग पर आ पाई, क्षमा प्रार्थी हूँ कि अपने ही भाई साहब की कहानी को देर से पढ़ा. सुभाष जी ने सही कहा है कि किस्सागोई शैली में लिखी कहानी में व्यंग्य <br />छिपा है और कई बातें इशारों में कह दी गई हैं...Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-65417381740319186222009-11-10T08:11:13.202-08:002009-11-10T08:11:13.202-08:00कहानी देर से पढ़ी। किस्सागोई शैली में लिखी इस कहानी...कहानी देर से पढ़ी। किस्सागोई शैली में लिखी इस कहानी में व्यंग्य भी छिपा है।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-66297161332080971132009-11-09T00:36:59.940-08:002009-11-09T00:36:59.940-08:00आदरणीय प्राण जी की कहानी की सबसे बड़ी विशेषता ये है...आदरणीय प्राण जी की कहानी की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि यह शुरु से अंत तक पाठक को बांधे रखती है। मनुष्य का आत्मकेंद्रित दृष्टिकोण मजबूत से मजबूत रिश्ते में भी दरार डाल जाता है। और समाज में विघटनकारी शक्तियां हैं तो दूसरी ओर अच्छे लोग भी हैं जो इन विषम परिस्थितियों में मानवता को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इन सब तथ्यों का बखूबी प्रतिपादन हुआ है इस कहानी में। कहानी के लिये आदरणीय प्राण जी को बधाई।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-47052897315161587022009-11-08T01:59:08.950-08:002009-11-08T01:59:08.950-08:00niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-86504978324383716662009-11-07T06:37:43.269-08:002009-11-07T06:37:43.269-08:00प्राण जी
धर्मान्धता पर चोट करती एक पठनीय कहानी.
...प्राण जी<br /><br />धर्मान्धता पर चोट करती एक पठनीय कहानी.<br /><br />चन्देलRoop Singh Chandelhttps://www.blogger.com/profile/07746336325719389687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-84406335014518789052009-11-07T00:00:52.501-08:002009-11-07T00:00:52.501-08:00बहुत ही सुंदर, रोचक, दिलचस्प और ज्ञानवर्धक कहानी ल...बहुत ही सुंदर, रोचक, दिलचस्प और ज्ञानवर्धक कहानी लिखा है आपने ! पढ़कर बहुत अच्छा लगा! इसे ही कहते हैं दोस्ती !Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-33426218993051090472009-11-06T13:05:26.406-08:002009-11-06T13:05:26.406-08:00सीख देती इस कहानी का मकसद...सादगी भरा लेख और प्रवा...सीख देती इस कहानी का मकसद...सादगी भरा लेख और प्रवाह बहुत पसन्द आया ....एक कहानी के अन्दर कई कहानियों को समेटने की आपकी कला भी पसन्द आयी...कहीं भी ये नहीं लगा कि इसे बीच में ही बिना पढे अधूरा छोड़ देना चाहिए...इसके लिए प्राण साहब को बहुत-बहुत बधाईराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-78953636774008961222009-11-06T08:58:46.079-08:002009-11-06T08:58:46.079-08:00halaki inhe main gazal pitamah kahke pukarata hun ...halaki inhe main gazal pitamah kahke pukarata hun , inki kuchh laghu kathaayen main pahale bhi padh chukaa hun,... kamaal ki baten karte hain magar aaj jab yah kahaani padhaa to bachapa jaise mere aankho ke samane pasarta chalaa gayaa sard mausam ki gunguni subah ki tarah... in tino mitro ki kahaani me jo hame paath milta hai wo sadesh apne aap me mishaal kayam karne waali hai ... inki gazal vidha par to logon ne lohaa mana hi hai ab inki gadh lekhan ka bhi log loha manate hain ... bas apni chhoti jabaan se yahi kahunga ke maa saraswati ka inki lekhani pe asim kripa hai... jis tarah se ye hindi ki seva kar rahe hain wo apne aap me ham naye lekhako ke liye ek sandesh hai... salaam inko tathaa inki lekhani ko....<br /><br /><br />arsh"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-66995084542774572102009-11-06T05:49:34.798-08:002009-11-06T05:49:34.798-08:00प्राण शर्मा जी की कहानी बड़ी सादगी से बड़ी बात कहत...प्राण शर्मा जी की कहानी बड़ी सादगी से बड़ी बात कहती है और समसामयिक सन्देश देती है.आप बधाई के पात्र हैं. sureshyadav55सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-42980683655743588902009-11-06T03:02:55.827-08:002009-11-06T03:02:55.827-08:00मुग्ध हूँ....
एकदम सादगी से कितनी गंभीर बात कह दी...मुग्ध हूँ....<br /><br />एकदम सादगी से कितनी गंभीर बात कह दी आपने इस कहानी के माध्यम से....कितना सार्थक सन्देश दिया है....वाह !!<br /><br />एक ही ईश्वर की संतान जो एकदूसरे से पूर्णतः अभिन्न हैं,पर उसी ईश्वर के नाम पर एक दुसरे के शत्रु हो जाते हैं....<br /><br />अभूतपूर्व लेखन कला...मैं नतमस्तक हूँ आपके लेखनी और पवित्र भावों के प्रति.....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-6379567253809986212009-11-05T17:04:36.120-08:002009-11-05T17:04:36.120-08:00शुक्रिया, प्राण जी | कहानी दिलचस्प है, और उद्बोधक ...शुक्रिया, प्राण जी | कहानी दिलचस्प है, और उद्बोधक भी ! बधाई !<br /><br />RC RoopamAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-26329546615432365282009-11-05T13:01:14.948-08:002009-11-05T13:01:14.948-08:00PRAAN SAHAB KI KAHAANI MEIN ROCHAKTA AUR VISHAY KI...PRAAN SAHAB KI KAHAANI MEIN ROCHAKTA AUR VISHAY KI PAKAD MAJBOOTI SE BANI RAHTI HAI ... YE KAHAANI BHI AAJ KE SAMAAJIK PARIVESH KO SARTAK ROOP SE BAYAAN KARTI HAI ... TEENO MITR JINKO KABHI BHI LADWANA AASAAN NAHI THAA ...VO EK CHOTI SI BAAT PAR JO RANG BHED KE KAARAN UPJI, JUDA HO GAYE..... SAMAAJ MEIN AISE HI GAHRI JAD BANAA CHUKI BHRANTIYON KE CHALTE KITNA KUCH HO JAATA HAI ..... KAHAANI KE MAADHYAM SE SANDESH DIYA HAI PRAN JI NE AUR VO IS PRAYAAS MEIN SAFAL HAIN .......दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-80511007154112849632009-11-04T22:00:30.199-08:002009-11-04T22:00:30.199-08:00निजी स्वार्थ, स्वहित, स्वयम को सर्वश्रेष्ठ समझने क...निजी स्वार्थ, स्वहित, स्वयम को सर्वश्रेष्ठ समझने की सन्कीर्ण मनोव्रित्ति किस तरह घनिष्ठ सम्बन्धो को आघात पहुचाती है, यह कहानी अत्यन्त सहज ढन्ग से रेखान्कित करती है.दोस्ती ही क्यो,एक परिवार मे पति पत्नी के बीच के बिगडते सम्बन्ध, पडोसियो के बीच आपस मे टूटते रिश्ते जैसे समाज मे तेजी से पनप रहे घुन के लिये भी केवल यही एक कारण जिम्मेदार है, कि हम सदैव स्वयम को दूसरो से बेहतर समझते है.<br /><br />काश यह कहानी समाज के लिये एक प्रेरणा बन सके, ना केवल दोस्ती के क्षेत्रो मे अपितु सभी सामाजिक सम्बन्धो मे.<br /><br />सुन्दर कहानी !<br /><br />सादरराकेश कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08397280715413909061noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-7388954812934130642009-11-04T19:22:41.064-08:002009-11-04T19:22:41.064-08:00कहानी शुरू करते हे लगा था कि इसका कथानक दोस्ती पर...कहानी शुरू करते हे लगा था कि इसका कथानक दोस्ती पर आधारित है मगर जैसे जैसे कहानी आगे बढी उसे बडी खूबसूरती से कई भावों से जोड दिया गया कि कैसे लोग् या दुश्मन दोस्तों को लडाने के लिये ताक मे बैठे रहते हैं फिर आज कल जो सामप्रदायिक भेद भाव का माहौल है कैसे लोग उसे भडाकाते हैं ये भी संदेश मिलता है कि धर्म नस्ल रंग भेद के नाम पर कितनी आसानी से किसी को भडकाया जा सकता है। इसमे आस्तिक और नस्तिक प्रकृ्ति की उत्पति तक को कहानी मे बडी सूझ बूझ से व्यक्त् िया है कि पाठक को ये उपदेश नहीं लगती।कहानी की निरन्तरता पाठक को अपने साथ बहाये ले जाती है कथानक कथ्य,शैली और शिल्प सभी कुछ बहुत सुन्दर है ।एक कहानी मे अनेक संदेश। आ्रणीय प्राण भाई साहिब को बधाई और आपका धन्यवाद इस कहानी को पढवाने के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-6084119326910128682009-11-04T04:54:40.244-08:002009-11-04T04:54:40.244-08:00कहानी अटूट मित्रता से आरम्भ होती है.........शांत,स...कहानी अटूट मित्रता से आरम्भ होती है.........शांत,स्थिर......<br />हर आँधी-तूफ़ान में साथ रहनेवालों को तोड़ने के लिए जाने <br />कितने लोग कार्यरत रहते हैं , पर उनकी सफलता हमारे उस मानसिक-स्तर से <br />होती है,जहाँ हम खुद को विशिष्ट मानते हैं.....<br />और यही स्व प्रधानता ने उनको लहुलुहान कर दिया और उनकी मित्रता दम <br />तोड़ गयी........<br />लोग इस कहानी से बहुत कुछ सीख सकते हैं,यदि सीखना चाहें!रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-74751452740606544082009-11-04T03:53:29.708-08:002009-11-04T03:53:29.708-08:00रूप सिंह चंदेल साहिब नमस्कार
आपके ब्लॉग पर श्री प...रूप सिंह चंदेल साहिब नमस्कार <br />आपके ब्लॉग पर श्री प्राण शर्मा साहिब की कहानी पढ़ने का <br />मौका मिला शुक्रिया <br />प्राण साहिब की एक कहानी में अनेक कहानिया छुपी हुई हैं <br />ऐसा महसूस होता है जैसे किसी फ़िल्मी पर्दे पर पञ्च तन्त्र<br />के पुराने और नए सीन आ जा रहे हों लेखन बहुत बेबाक है <br />कभी कबार खुल के बात कहना और कभी छुपा के इशारे से <br />बात कह जाने का हुनर प्राण साहिब जी के ही बस की बात है <br />लेखक पाठक को एकदम अपने साथ जोड़ कर चला लेता है <br />और पाठक लेखक की कहानी में घुलमिल जाता है <br />शुभकामनायें <br /><br />चाँद शुक्ला हदियाबादी <br />डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-19688489120757878912009-11-04T03:33:45.470-08:002009-11-04T03:33:45.470-08:00प्राण साहब का कहानी कहने का अंदाज़ सबसे निराला है....प्राण साहब का कहानी कहने का अंदाज़ सबसे निराला है...बड़ी सादगी से वो अपनी बात कह जाते हैं...कहानी कहने की ये कला जो पाठक को शुरू से अंत तक बाँध ले कोई उनसे सीखे...बहुत ही रोचक और ज्ञान वर्धक कहानी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-78380443222043485932009-11-04T01:54:35.636-08:002009-11-04T01:54:35.636-08:00ek achchhi kahaanee padne ko milee iske liye mai b...ek achchhi kahaanee padne ko milee iske liye mai bhai chandel tathaa apko (priya bhai pran jee ko)badhai detaa hoonashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-29949126314621298532009-11-03T13:28:26.476-08:002009-11-03T13:28:26.476-08:00Pran Bhai sahab ki likhi kahanee lambee magar kaye...Pran Bhai sahab ki likhi kahanee lambee magar kayee naye rang liye lagee aur ant mei seekh bhee deti gayee -- humesha aapko padhna sukhad rehta hai -- <br /><br />sadar,<br />- lavanyaलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com