tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post3813094126396414673..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: वातायन-मई,२०११रूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-70269616001170357592011-05-09T01:39:18.212-07:002011-05-09T01:39:18.212-07:00पुनश्च:
मेरे ब्लॉग 'जनगाथा' का यूआरएल कृप...पुनश्च: <br />मेरे ब्लॉग 'जनगाथा' का यूआरएल कृपया निम्न प्रकार शुद्ध कर लें-http://jangatha.blogspot.comबलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-64999290497045813972011-05-09T01:35:22.574-07:002011-05-09T01:35:22.574-07:00ऐसे समय में जब विभिन्न अकादमियों, सरकारी संस्थानों...ऐसे समय में जब विभिन्न अकादमियों, सरकारी संस्थानों और विश्वविद्यालयों से जुड़े लोग आकंठ 'शताब्दी' संगान में डूबे हों, कालीचरण प्रेमी सरीखे अल्प-ख्यात लघुकथाकार के निधन पर आपके द्वारा उसे याद किया जाना सिद्ध करता है कि संसार में सभी लोग धन और सम्मान के पीछे नहीं भाग रहे हैं, कुछ ऐसे अवश्य हैं जिनके सरोकार मानवीय हैं। कालीचरण प्रेमी की सदाशयता का मात्र एक उदाहरण मैं यहाँ देना चाहूँगा। इलाज के लिए मेडिकल एडवांस की उनकी फाइल की अतिमंद गति ने मुझे जब क्षुब्ध कर दिया तब मैंने एक रिपोर्ट तैयार की और नेट पर डालने से पहले प्रेमी जी को उसे दिखाया। उन्होंने मुझसे कहा--अग्रवाल जी, इसमें से 'अनुसूचित' शब्द हटा दीजिए। मैंने पूछा--क्यों? बोले--दो कारण हैं; पहला यह कि मैं अपनी जाति का उल्लेख दया माँगने के रूप में नहीं करना चाहता और दूसरा यह कि 'अनुसूचित' शब्द से चिढ़ने वालों की भी कहीं कमी नहीं है। ऐसा न हो कि इस एक शब्द के कारण ही मेडिकल सहायता की फाइल रोक ली जाय। <br />मैंने वह शब्द हटा दिया, लेकिन गजब की बात यह रही कि मेडिकल सहायता की फाइल उनकी मृत्यु होने के उपरांत ही वापिस आ पाई।<br />तृणमूल(ग्रासरूट) स्तर से उभरी उस विनम्र आत्मा के साहित्यिक अवदान को आपने याद करने योग्य समझा, मैं इसे साहित्यिक दायित्व के निर्वाह की दिशा में गम्भीर प्रयास के रूप में देखता हूँ।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-2998953154534851542011-05-09T01:34:52.385-07:002011-05-09T01:34:52.385-07:00ऐसे समय में जब विभिन्न अकादमियों, सरकारी संस्थानों...ऐसे समय में जब विभिन्न अकादमियों, सरकारी संस्थानों और विश्वविद्यालयों से जुड़े लोग आकंठ 'शताब्दी' संगान में डूबे हों, कालीचरण प्रेमी सरीखे अल्प-ख्यात लघुकथाकार के निधन पर आपके द्वारा उसे याद किया जाना सिद्ध करता है कि संसार में सभी लोग धन और सम्मान के पीछे नहीं भाग रहे हैं, कुछ ऐसे अवश्य हैं जिनके सरोकार मानवीय हैं। कालीचरण प्रेमी की सदाशयता का मात्र एक उदाहरण मैं यहाँ देना चाहूँगा। इलाज के लिए मेडिकल एडवांस की उनकी फाइल की अतिमंद गति ने मुझे जब क्षुब्ध कर दिया तब मैंने एक रिपोर्ट तैयार की और नेट पर डालने से पहले प्रेमी जी को उसे दिखाया। उन्होंने मुझसे कहा--अग्रवाल जी, इसमें से 'अनुसूचित' शब्द हटा दीजिए। मैंने पूछा--क्यों? बोले--दो कारण हैं; पहला यह कि मैं अपनी जाति का उल्लेख दया माँगने के रूप में नहीं करना चाहता और दूसरा यह कि 'अनुसूचित' शब्द से चिढ़ने वालों की भी कहीं कमी नहीं है। ऐसा न हो कि इस एक शब्द के कारण ही मेडिकल सहायता की फाइल रोक ली जाय। <br />मैंने वह शब्द हटा दिया, लेकिन गजब की बात यह रही कि मेडिकल सहायता की फाइल उनकी मृत्यु होने के उपरांत ही वापिस आ पाई।<br />तृणमूल(ग्रासरूट) स्तर से उभरी उस विनम्र आत्मा के साहित्यिक अवदान को आपने याद करने योग्य समझा, मैं इसे साहित्यिक दायित्व के निर्वाह की दिशा में गम्भीर प्रयास के रूप में देखता हूँ।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-6736044181190836902011-05-08T02:51:23.218-07:002011-05-08T02:51:23.218-07:00इस महान साहित्यकार को विनम्र श्रद्धाँजली।इस महान साहित्यकार को विनम्र श्रद्धाँजली।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com