tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post5596060773997321573..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: कवितारूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-75043217311270958872017-04-04T04:27:49.154-07:002017-04-04T04:27:49.154-07:00बहुत ही मार्मिक, हृदयस्पर्शी कविताबहुत ही मार्मिक, हृदयस्पर्शी कविताहिंदी साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/11183076824725916435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-27985540757510250892013-01-02T21:49:41.889-08:002013-01-02T21:49:41.889-08:00Sudha jee kii yeh kavita hriday ko jhakjhor jaati ...Sudha jee kii yeh kavita hriday ko jhakjhor jaati hai vakeii halat kitne kharab hain.iske hal dhondhne hii honge poore samaj ko.ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-31334932164867390872013-01-02T09:29:35.862-08:002013-01-02T09:29:35.862-08:00दामिनी प्रकरण पर 'वातायन' का यह अंक नि:संद...दामिनी प्रकरण पर 'वातायन' का यह अंक नि:संदेह ध्यान खींचने वाला अंक है। तुम्हारे सम्पादकीय की आग और सुधाजी की कविता ने इस अंक को बेहद जानदार बना दिया है।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-71233214016637494352013-01-02T09:26:54.649-08:002013-01-02T09:26:54.649-08:00सुधा अरोड़ा जी की यह कविता वर्तमान समय में कितनी प्...सुधा अरोड़ा जी की यह कविता वर्तमान समय में कितनी प्रासंगिक है ! एक हिला कर रख देने वाली कविता! इस प्रसंग पर बहुत सी कविताएं इधर पढ़ने को मिलीं, पर सुधा जी की यह कविता एक उत्पीड़ित स्त्री के दर्द को जिस ढंग से सामने लाती है, वह नि:संदेह इस कविता को अन्य कविताओं से अलग करता है। सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-5392291581096227612013-01-01T17:26:11.930-08:002013-01-01T17:26:11.930-08:00सुधा जी ,
आपकी इस कविता में सचमुच स्त्री उत्पीडन ...सुधा जी , <br />आपकी इस कविता में सचमुच स्त्री उत्पीडन का इतिहास ज़िंदा हो गया है | यह कविता भी एक दस्तावेज बन गई है |<br />सादर<br />इला Ilahttps://www.blogger.com/profile/15571289109294040676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-89510805569708783672013-01-01T11:22:02.262-08:002013-01-01T11:22:02.262-08:00सुधा जी,
आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उस...सुधा जी,<br /><br />आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उसमें एक शिगाफ़ डालती है। आँखों में आंसू तो लाती ही है, लहू भी खौलाती है। काश!, हैवानों को इंसानियत का पाठ पढ़ना आ जाए। काश अब देश की सरकारें, देश की पुलिस, देश की पूरी जनता यह निश्चय कर ले कि हमारी कोई बहन, कोई माँ, कोई बेटी अब से दामिनी नहीं बनेगी।<br /><br />महेन्द्र दवेसर <br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-88027481905603053232013-01-01T09:25:32.537-08:002013-01-01T09:25:32.537-08:00सुधा जी,
आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उस...सुधा जी,<br /><br />आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उसमें एक शिगाफ़ डालती है। आँखों में आंसू तो लाती ही है, लहू भी खौलाती है। काश!, हैवानों को इंसानियत का पाठ पढ़ना आ जाए। काश अब देश की सरकारें, देश की पुलिस, देश की पूरी जनता यह निश्चय कर ले कि हमारी कोई बहन, कोई माँ, कोई बेटी अब से दामिनी नहीं बनेगी।<br /><br />महेन्द्र दवेसर <br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-68161698849960226422013-01-01T09:24:00.445-08:002013-01-01T09:24:00.445-08:00सुधा जी,
आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उस...सुधा जी,<br /><br />आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उसमें एक शिगाफ़ डालती है। आँखों में आंसू तो लाती ही है, लहू भी खौलाती है। काश!, हैवानों को इंसानियत का पाठ पढ़ना आ जाए। काश अब देश की सरकारें, देश की पुलिस, देश की पूरी जनता यह निश्चय कर ले कि हमारी कोई बहन, कोई माँ, कोई बेटी अब से दामिनी नहीं बनेगी।<br /><br />महेन्द्र दवेसर <br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-9410448334818698272013-01-01T09:23:59.918-08:002013-01-01T09:23:59.918-08:00सुधा जी,
आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उस...सुधा जी,<br /><br />आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उसमें एक शिगाफ़ डालती है। आँखों में आंसू तो लाती ही है, लहू भी खौलाती है। काश!, हैवानों को इंसानियत का पाठ पढ़ना आ जाए। काश अब देश की सरकारें, देश की पुलिस, देश की पूरी जनता यह निश्चय कर ले कि हमारी कोई बहन, कोई माँ, कोई बेटी अब से दामिनी नहीं बनेगी।<br /><br />महेन्द्र दवेसर <br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-25037672083010248532013-01-01T09:22:45.474-08:002013-01-01T09:22:45.474-08:00सुधा जी,
आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उस...सुधा जी,<br /><br />आपकी यह कविता ह्रृदय को छूती ही नहीं उसमें एक शिगाफ़ डालती है। आँखों में आंसू तो लाती ही है, लहू भी खौलाती है। काश!, हैवानों को इंसानियत का पाठ पढ़ना आ जाए। काश अब देश की सरकारें, देश की पुलिस, देश की पूरी जनता यह निश्चय कर ले कि हमारी कोई बहन, कोई माँ, कोई बेटी अब से दामिनी नहीं बनेगी।<br /><br />महेन्द्र दवेसर <br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-91024559204680575352012-12-31T20:31:34.733-08:002012-12-31T20:31:34.733-08:00दिल को दहला देने वाली मार्मिक अभिव्यक्ति को पढ़...दिल को दहला देने वाली मार्मिक अभिव्यक्ति को पढ़ कर आँखें भर आईं ।<br />अवसादपूर्ण मनस्थिति निर्वाक् कर गई ।शकुन्तला बहादुरnoreply@blogger.com