tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post6024471120723630786..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: कहानीरूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-73517681428599316452008-11-23T21:09:00.000-08:002008-11-23T21:09:00.000-08:00रूप सिंह जी,अभी तो बस पढ़ रही हूँ । आप मुझे यह बतला...रूप सिंह जी,<BR/>अभी तो बस पढ़ रही हूँ । आप मुझे यह बतलाइए कि शिव प्रसाद सिंह जी पुनर्जन्म पर लिखी जा रही किताब पूरी कर पाए ? वह प्रकाशित हुई है ? मुझे पढ़नी है।<BR/>सुभाष नीरव जी की प्रेम कहानी का अन्त ऐसा क्यों है ? चाहे वास्तविकता में जो होता हो, संजना और के.के. का न जुड़ पाना अच्छा नहीं लगा। प्रेम कहानी सुखद अच्छी लगती है। <BR/>सादर<BR/>इलाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-76655246905625352672008-11-20T09:19:00.000-08:002008-11-20T09:19:00.000-08:00सुभाष नीरव साहिब की यह कहानी में जो प्रवाह है रुकन...सुभाष नीरव साहिब की यह कहानी <BR/>में जो प्रवाह है रुकने का नाम नही लेता <BR/>यह कहानी महानगर के पसमंज़र में <BR/>जन्म लेती हुई बहुत कुछ कह जाती है<BR/>इस कहानी की पृष्टभूमि बेशक भारत है लेकिन <BR/>मेरी नज़र में यह एक वैश्विक घटना का रूप भी धारण <BR/>कर जाती है समाज का मसला हुआ फूल "संजना"<BR/>अपने दोस्त को पेश नही करना चाहती <BR/>दिल जला के. के. बारिश में भीग जाना चाहता है <BR/><BR/>चाँद शुक्ला हदियाबादी <BR/>डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.com