tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post7204931448216686714..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: बातचीतरूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-1563540964819875272008-12-16T09:50:00.000-08:002008-12-16T09:50:00.000-08:00राजी सेठ मेरी प्रिय लेखिका रहीं। उनकी किताबें न स्...राजी सेठ मेरी प्रिय लेखिका रहीं। उनकी किताबें न स्वयं खरीद कर पढ़ी वरन मित्रों को जन्मदिन उपहारस्वरूप देकर पढ़ने को प्रेरित भी करती रही। अंधे मोड़ से आगे , तीसरी हथेली .... आदि की कहानियों का कथ्य अपने शिल्प और भाषा की वजह से विशिष्ट ही कहा जायेगा। काव्यमयी भाषा है राजी सेठ की कहानियों कि जिन्हें पढ़ना बहुत सुखद लगता है।<BR/>रमेश दवे जी और रूप सिंह जी का इस वार्ता को सुलभ कराने के लिए आभार!<BR/>इलाIlahttps://www.blogger.com/profile/15571289109294040676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-20127245695054557322008-12-06T04:12:00.000-08:002008-12-06T04:12:00.000-08:00राजी सेठ से रमेश दवे की बातचीत अच्छी लगी । साक्षात...राजी सेठ से रमेश दवे की बातचीत अच्छी लगी । साक्षात्कार के माध्यम से लेखक को एवं उसकी रचना को जानने का अधिक अवसर मिलता है । पत्रिकाओं ने इन सबसे किनारा कर लिया है ।ब्लॉग इसे ज़िन्दा रख रहे हैं ,यह शुभ संकेत है ।<BR/>रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'<BR/>rdkamboj@gmail.comसहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com