tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post7354392892146280337..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: कविताएंरूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-27489015632359222652017-04-29T02:19:48.830-07:002017-04-29T02:19:48.830-07:00मैं आप सभी के प्रति कृतज्ञ हूँ जिन्होंने कवितायेँ ...मैं आप सभी के प्रति कृतज्ञ हूँ जिन्होंने कवितायेँ पढी और सराही !डॉ॰ विजया सतीhttps://www.blogger.com/profile/09344510276155139728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-84432657863548131172012-08-16T23:26:20.213-07:002012-08-16T23:26:20.213-07:00विजया जी की कविताएं अपने भावों की गहनता को इतनी सा...विजया जी की कविताएं अपने भावों की गहनता को इतनी सादगी से प्रस्तुत करती हैं कि सीधे मन को छू जाती हैं। इन कविताओं में कोई वाग्जाल नहीं, चौंकाने वाला शिल्प नहीं। ये सहज सरल अनुभूतियों की विनम्र अभिव्यक्ति है और शायद अपनी सादगी की वजह से ही यह एक सुखद झोंके सी प्रतीत होती हैं। बधाई, विजया जी।अनिल प्रभा कुमारnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-19119128430032194792012-08-08T09:34:26.361-07:002012-08-08T09:34:26.361-07:00रमाकांत सिंह चन्देल ने कहा:
वातायन में “स्मृतियाँ...रमाकांत सिंह चन्देल ने कहा:<br /><br />वातायन में “स्मृतियाँ” शीर्षक से संकलित आपकी सभी<br />कविताएं मुझे पसंद आईं तथा ऐसा लगा की ये कविताएं शुद्ध अन्तःकरण में<br />विद्यमान निश्छल भावों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वैसे, जीवन के लम्बे<br />पथ पर चलते हुए मनुष्य के मानस-पटल पर स्मृतियों की अनेक रेखाओं का अंकन<br />तो होता ही है: किन्तु उन रेखाओं को अकृत्रिम ढंग से जनमानस को<br />सम्प्रेषित करने की कला ही पाठकों में सम्मान पाती है। आपकी ये कविताएं<br />मुझे इसी कोटि की लगीं, जिनमें बनावटीपन या कृत्रिमता का लेशमात्र भी पुट<br />नहीं है।<br /><br /> मुझे इन कविताओं में एक सुन्दर बात यह लगी की हमारे संस्कृत/हिन्दी<br />वाङ्मय के साथ-साथ हमारे आस्थामूलक एवं ऋषि-प्रणीत स्तोत्रों<br />यथा–शिवपंचाक्षरस्तोत्र, महामृत्युंजयमन्त्र, श्रीहनुमत्-स्तवन<br />(अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुम् ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।<br />सकलगुणनिधानम् वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥–आदि के<br />प्रति एक आस्थामय अनुराग देखने को मिला, जोकी मानव-जीवन को धन्यता प्रदान<br />करती हैं तथा जीवन में एक बहुत बड़े सम्बल की भूमिका निभाती हैं।<br /><br /> बचपन की स्मृतियाँ तो वाकई जीवनपर्यन्त साथ रहती हैं। तभी तो सुदर्शन<br />फाकिर ने लिखा–<br />“ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो। भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी।<br />मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी॥“<br /><br />आपकी कविताओं में भी बचपन के दिनों से सम्बंधित ऐसे ही सुनहरे पलों की<br />झाँकी मैंने अपने अन्तश्चक्षुओं द्वारा देखी। साथ-ही माता व पिता के<br />निश्छल प्रेम की स्मृतियाँ भी महाभारत के यक्षयुधिष्ठिर-संवाद की यह बात<br />याद दिलाती हैं कि–<br />“माता गुरुतरा भूमे: पितरोच्चतरं च खात् ।“<br />(अर्थात्, माता पृथ्वी से भारी है तथा पिता का स्थान आकाश से भी ऊँचा है)।<br /><br /> अस्तु, मुझे ये सभी कविताएं प्रिय हैं।<br /><br />Ramakant Singh Chandel<br /> N.T.P.C. Limited<br />(A government of India Enterprise)<br />Sipat Super Thermal Power Project<br />PO. Ujwalnagar<br />Distt. Bilaspur (Chattisgarh)<br />PIN : 495555<br />Mobile: (+91) 9425190064<br />E-mail Id:<br />ramakantsingh06@gmail.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-54447935340605604172012-08-03T08:49:38.411-07:002012-08-03T08:49:38.411-07:00Vijya jee kii vaise sabhi kavitaen bahut kuchh keh...Vijya jee kii vaise sabhi kavitaen bahut kuchh keh jaati hai ,phir bhee unki dusree tatha teesri kavita ne behad aakarshit kiya hai.bahut kuchh sochne ko majboor kartii hain,sundar.ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-12349096881751408402012-08-02T22:21:07.263-07:002012-08-02T22:21:07.263-07:00Vijaya sati ji ki kavitaayen padhin aur man apni b...Vijaya sati ji ki kavitaayen padhin aur man apni bhi bachapn ki smritiyon me ghoom gaya. Gehri samvednaayen liye ye kavitaayen man ko annayaas chhoo jaati hain.Sanjiv Nigamhttps://www.blogger.com/profile/01219067138128259369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-43548937173296007552012-08-02T00:51:44.734-07:002012-08-02T00:51:44.734-07:00विजया सती की कविताएं अपनी सघन संवेदना के कारण मन क...विजया सती की कविताएं अपनी सघन संवेदना के कारण मन को छूती हैं। इनकी कुछ और कविताएं (छोटी छोटी ) हों तो मुझे भी देना, 'गवाक्ष' के किसी अंक के लिए…सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.com