tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post9144222923879661694..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: वातायन-दिसम्बर,२०१३रूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-60046098860006743292014-01-05T06:25:18.125-08:002014-01-05T06:25:18.125-08:00इतनी सारी लघु कथाएं एक साथ पढ़ कर विभिन्न भावों -अन...इतनी सारी लघु कथाएं एक साथ पढ़ कर विभिन्न भावों -अनुभावों से होकर गुज़री हूँ | हर कथा दूसरी से भिन्न है |प्राण शर्मा जी की "गर्माहट हर घर की कहानी है | आप सब को बधाई और प्रस्तुतकर्ता श्री चंदेल जी का आभार |Shashi Padhahttps://www.blogger.com/profile/00598501778506881242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-51958168169843621772013-12-26T08:24:46.308-08:002013-12-26T08:24:46.308-08:00laghu kathanye aur kavitaye achhi hai..narendra ni...laghu kathanye aur kavitaye achhi hai..narendra nirmalNarendra Nirmalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-42044421324743428252013-12-14T06:12:43.000-08:002013-12-14T06:12:43.000-08:00BALRAM AGRAWAAL , SUBHASH NEERAV
AUR MADHUDEEP KEE...BALRAM AGRAWAAL , SUBHASH NEERAV<br />AUR MADHUDEEP KEE MAN - MASTISHK<br />PAR PRABHAAV CHHODNE WAALE LAGHU<br />KATHAAYEN NAYE AAYAAM STHAAPIT<br />KARTEE HUEE HAIN . SAARAA SHREY <br />AAPKO JAATAA HAI . <br /><br /> MAITHLI SHARAN GUPT NE KABHEE KAHAA THA -<br /><br />ABLA JEEWAN HAAY <br />TEREE YAHEE KAHANI <br />AANCHAL MEIN HAI <br />DOODH AUR AANKHON MEIN PANI <br /><br /> YAH UKTI AAJ BHEE NAREE<br />SAMAAJ PAR LAAGOO HOTEE HAI . STREE HEE STREE KEE DUSHMAN HAI .<br />STREE CHAAHE TO IS KRURTAA KEE<br />ITISHREE KAR SAKTI HAI .<br /><br /> AAPKAA LEKH SAMAYOCHIT HAI.<br />KASH , HAR KOEE IS SE SABAQ LE .<br /><br /><br />PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-46390954789501526292013-12-08T19:28:53.788-08:002013-12-08T19:28:53.788-08:00सभी लघुकथायें जबरदस्त एवं प्रभावी. आभाऱ इन्हें पढ़...सभी लघुकथायें जबरदस्त एवं प्रभावी. आभाऱ इन्हें पढ़वाने का.<br /><br />अति उत्तम!!<br /><br />Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-36027197510394537522013-12-08T05:10:19.682-08:002013-12-08T05:10:19.682-08:00अभी सारी तो नही पढीं पर प्राण शर्मा जी की लघुकथाओं...अभी सारी तो नही पढीं पर प्राण शर्मा जी की लघुकथाओं ने मन मोह लिया।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-2405502848302918262013-12-08T04:14:13.886-08:002013-12-08T04:14:13.886-08:00तनी सारी लघुकथाओं का संकलन ... वो भी एक ही जगह ......तनी सारी लघुकथाओं का संकलन ... वो भी एक ही जगह ... जैसे कोई पिटारा हाथ आ गया ... <br />प्राण जी की कथापों ने तो कमाल ही कर दिया ... चुटीले अंदाज़ में अपनी बात राखी है उन्होंने ... माधव जी और बलराम जी की कहानियां भी प्रभावित करती हैं ... सुभाष जी की कथा भी लाजवाब रही ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-2195237801553256442013-12-07T06:29:24.757-08:002013-12-07T06:29:24.757-08:00सारी लघुकथाए प्यारी हैं मगर प्राण शर्मा जी का ज़वाब...सारी लघुकथाए प्यारी हैं मगर प्राण शर्मा जी का ज़वाब नहीं , खास कर उनकी लघुकथा ''गर्माहट' ने तो झनझना ही दिया girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-72124582062329171982013-12-07T04:53:25.897-08:002013-12-07T04:53:25.897-08:00भाई चंदेल तुम्हारे आलेख ने कई सवाल खड़े किये हैं जो...भाई चंदेल तुम्हारे आलेख ने कई सवाल खड़े किये हैं जो सभी को सोचने को मजबूर करते हैं.<br />इसके साथ ही एक से एक लाजवाब लघु कथाएँ वातायन में पढ कर अच्छा लगा.इतनी अच्छी सामग्री को अपने इस अंक में समेट कर पढवाने के लिए तुम्हें बधाई. ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-33250060910892539162013-12-06T06:29:27.786-08:002013-12-06T06:29:27.786-08:00प्राण सर... लाजवाब !
आपका
भरतप्राण सर... लाजवाब !<br />आपका<br />भरतBharathttps://www.blogger.com/profile/09488756087582034683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-6666055733974013102013-12-05T06:18:26.886-08:002013-12-05T06:18:26.886-08:00'वातायन' में सभी लघुकथाऐं सार्थक और प्रभाव...'वातायन' में सभी लघुकथाऐं सार्थक और प्रभावपूर्ण लगीं| नीरवजी की लघुकथा जो हंस में पढ़ी थी उसका पुन: रसास्वादन किया| चंदेलजी ने वाकई वातायन को एक प्रयोगशाला की तरह स्थापित किया है जो हिंदी साहित्य के लिए शुभ है|<br />Yadu Joshihttps://www.blogger.com/profile/12188486485952726876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-41222720183628780152013-12-04T17:04:44.652-08:002013-12-04T17:04:44.652-08:00एक साथ इतनी सारी और बेहतरीन लघुकथाए . वाह वाह ,जैस...एक साथ इतनी सारी और बेहतरीन लघुकथाए . वाह वाह ,जैसे एक पूरी थाली भर के भोजन प्राप्त हुआ हो . प्राण शर्मा जी के क्या कहने , उनकी लेख्निही उनका परिचय है. माधव जी की कहानिया एक इम्पैक्ट दे रही है . बलराम जी तो हमेशा से ही इमानदारी से अपनी बात रखते है. सुभाष जी बेहतरीन है . मधुदीप जी ने भी अच्छा लिखा है . <br />कुल मिलाकर आपका ये अंक सच में बहुत अच्छा रहा है . ढेर सारी बधाई. <br />विजय vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-70519777138092802302013-12-04T00:56:00.493-08:002013-12-04T00:56:00.493-08:00अरे वाह! इतनी जल्दी इतना बढ़िया अंक| बधाई रूपसिंहज...अरे वाह! इतनी जल्दी इतना बढ़िया अंक| बधाई रूपसिंहजी| लघुकथाओं पर टिप्पणी इतमीनान से पढ़कर करूंगा|madhavhttps://www.blogger.com/profile/10534583769565866865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-80954980629308305692013-12-03T09:14:59.455-08:002013-12-03T09:14:59.455-08:00एक साथ इतनी सारी लघुकथाएं पढ़ना और फिर उन पर कुछ क...एक साथ इतनी सारी लघुकथाएं पढ़ना और फिर उन पर कुछ कहना जोखिम का काम है। फिर भी इतना कहूंगा कि प्राण शर्मा, माधव नागदा और बलराम जी की सभी लघुकथाएं अच्छी लगीं। प्राण शर्मा अपनी बात संक्षिप्त में कहते हैं और प्रभावपूर्ण तरीके से। माधव नागदा कथा विस्तार में जाते हैं..पर प्रभाव छोड़ते हैं। और बलराम जी तो खैर अपनी रचना प्रक्रिया में ही कहते हैं कि वे जल्दी में लघुकथा समेटना नहीं चाहते। उनकी दूसरी लघुकथा जो बालमन की बात कहती है,अंत में आकर थोड़ी उलझ जाती है अन्यथा प्रभाव छोड़ती है। सुभाष नीरव की बारिश अच्छी लगी...यह उनकी जानवर लघुकथा का विस्तार लगा। बाकी दो शायद पहले भी पढ़ी हैं..उतनी प्रभावशाली नहीं हैं। मधुदीप जी की पहली लघुकथा का कंटेंट लघुकथा का है ही नहीं। अबाउट टर्न पहले पढ़ी थी और उस पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। अगर तुलनात्मक रूप से देखें तो उनकी लघुकथाएं कमजोर लगती हैं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com