tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post9198813610060862433..comments2024-01-30T07:29:55.670-08:00Comments on वातायन: कविताएंरूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-17208871151363946432009-06-20T18:07:24.892-07:002009-06-20T18:07:24.892-07:00रात भर कविता
आरती बन
शब्दों को
संवारती रही
मन मान...रात भर कविता<br />आरती बन<br />शब्दों को<br />संवारती रही<br />मन मानस<br />पखारती रहीअविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-9217628816102383142009-06-20T18:05:42.880-07:002009-06-20T18:05:42.880-07:00मां की फरियाद
बन जाए गर
हो जाए पूरी
इच्छा न हो
फि...मां की फरियाद<br />बन जाए गर<br />हो जाए पूरी<br />इच्छा न हो<br />फिर कोई<br />बेशक।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-55814152920447308312009-05-15T11:26:00.000-07:002009-05-15T11:26:00.000-07:00सुधा जी की सभी कविताएं अच्छी लगीं। आखिरी मार्मिक।...सुधा जी की सभी कविताएं अच्छी लगीं। आखिरी मार्मिक।<br />इलाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-60599022996003423052009-05-14T08:19:00.000-07:002009-05-14T08:19:00.000-07:00आज सुधा जी की दस कविताएं पढ़ीं, बहुत ही सुंदर भावप...आज सुधा जी की दस कविताएं पढ़ीं, बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचनाएं हैं। भावों, विचारों और आशावादी अभिवृत्ति के अपूर्व सामंजस्य गुम्फन के कारण सुधा जी की रचनाएं उच्च कोटि की है।<br />सूक्ष्मातिसूक्ष्म बातों को बड़ी गहराई के साथ जीवन के सुख-दुखमयी अनुभूतियों के चित्र बड़ी कुशलता से अंकित किए हैं और विशेषता यह है कि पलायनवादी <br />स्वर नहीं सुना। <br /><br />मैं ऐसा समाज निर्मित करूँगी<br />जहाँ औरत सिर्फ़ माँ, बेटी, बहन, पत्नी या<br />प्रेमिका ही नहीं<br />एक इन्सान,<br />सिर्फ़ इन्सान हो,<br />उसे इसी तरह<br />जाना, पहचाना और परखा जाए । <br /><br />कविता के लिए कुशल शिल्पी बनना होता है जिससे शब्दों को तराश कर, उन्हें मूर्तरूप दे सकें, उनकी जड़ता में अर्थपूर्ण प्राणों का संचार कर सकें और पंक्तियों में अपने भावों, उद्गारों,अनुभूतियों को 'गागर में सागर' की भांति समेट सकें। यह गुण सुधा जी की कविताओं में स्पष्ट रूप से लक्षित हैं। <br />सभी कविताएं दिल को छू गईं फिर भी 'मजबूरी','रिश्ते' और 'माँ की फ़रियाद' उल्लेखनीय हैं।<br />सस्नेह<br /><A HREF="http://mahavirsharma.blogspot.com" REL="nofollow">महावीर शर्मा</A>महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-25797922392238902862009-05-11T02:50:00.000-07:002009-05-11T02:50:00.000-07:00Sudha Om Dhingra ke 10 kavitaeiN padh gaya hoon. M...Sudha Om Dhingra ke 10 kavitaeiN padh gaya hoon. Meri kavita kee samajh bahut seemit hai. Phir bhee Majboori naam kee kavita bahut gehrayee liye hai. MaaN ki Fariyaad bhee bahut sensitive mudda uthati hai. <br /><br />Badhaai<br /><br />Tejendra Sharma<br />Katha UK<br />Londonतेजेन्द्र शर्माhttps://www.blogger.com/profile/15753407163299608362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-48642298740239334182009-05-10T10:03:00.000-07:002009-05-10T10:03:00.000-07:00सुधा जी की कविताओं में सहज संवेदना है जो आम जीवन क...सुधा जी की कविताओं में सहज संवेदना है जो आम जीवन के निकट की है .दसवीं कविता निश्चित रूप से मार्मिक है बधाई .चंदेल जी को प्रकाशन के लिए धन्यवाद.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-9616512919318790932009-05-10T08:08:00.000-07:002009-05-10T08:08:00.000-07:00चन्देल जी,
वैसे सुधा जी की सभी कविताएं पसन्द आयी...चन्देल जी, <br /><br />वैसे सुधा जी की सभी कविताएं पसन्द आयीं, लेकिन ’रिश्ते’, ’क्या पाया’ और ’मां की फरियाद’ मन को झकझोर देने वाली कविताएं हैं. <br /><br />आप दोनों को ही बधाई.<br /><br />राधेश्याम तिवारीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11110640464601804692noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-17918422823006267142009-05-09T22:39:00.000-07:002009-05-09T22:39:00.000-07:00सुधा धींगरा कि दस कविताएँ बेबाक यह कहने को विवश कर...सुधा धींगरा कि दस कविताएँ बेबाक यह कहने को विवश करती हैं कि कवि किसी भी धरती पर खड़ा हो, उसकी संवेदना और भाषा उसकी अपनी ही मिट्टी कि गंध लेकर कविता में ढलती है. निश्चित रूप से सुधा की सारी कविताएँ इस बात की गवाही देती हैं कि उनका चित्त मन हिंदी मैं ही स्पंदित होता है. सुधा की अंजुरी में इन कविताओं ने खुद को सार्थक किया है.<br /> <br />अशोक गुप्ता<br />मोबाइल 09871187875Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-27732536363472342202009-05-08T11:08:00.000-07:002009-05-08T11:08:00.000-07:00रात भर रिश्तों के बारे में सोचते रहे
क्या पाया "अ...रात भर रिश्तों के बारे में सोचते रहे <br />क्या पाया "अलगाव"<br />नज़रों से ओझल चाँद की मरहम लगा कर खुद से "खिलवाड़"<br />करते रहे वादा क्या होता लेकिन मजबूरी माँ की फरियाद थी <br />बचा लो इन्हें <br />यह सोच कर लिख डाला कहीं सुधा जी इन्तजारती न हो <br /><br />चाँद हदियाबादी शुक्ला<br /><br />डेनमार्कhaidabadihttps://www.blogger.com/profile/00389775957099138608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-3976415869782623792009-05-07T07:55:00.000-07:002009-05-07T07:55:00.000-07:00नीरव जी,
इंतज़ारती शब्द पर आप ने जैसी प्रतिक्रिया द...नीरव जी,<br />इंतज़ारती शब्द पर आप ने जैसी प्रतिक्रिया दी है, वैसे ही मैंने भी दी थी,<br />जब भारत के एक प्रतिष्ठित कवि, लेखक ने इस शब्द को प्रयोग कर कविता<br />मुझे वापिस भेजी थी. इंतज़ार करती को इकठ्ठा कर दिया था. साथ ही उन्होंने<br />उदाहरण भी दिए थे कि एक नामी लेखक ने अपने उपन्यास में महसूस करती को महसूसती प्रयोग किया है. उनका तर्क था की भाषा को नए शब्दों से समृद्ध करना चाहिए. पुरुष के लिए इंतजारता अच्छा नहीं लगेगा. अपनी- अपनी पसंद पर निर्भर करेगा. शब्द कोष के सभी शब्द तो प्रयोग में नहीं लाये जाते. मैंने सिर्फ उनके कहने पर ही यह<br />प्रयोग नहीं किया-बचपन से बुज़ुर्ग और गुरुजन यही कहते आये हैं की भाषा में नए शब्द लाना, हमेशा नए प्रयोग करना. कभी सफलता मिलेगी कभी असफलता पर भाषा ज़रूर समृद्ध होगी. मैंने यह स्पष्टीकरण नहीं दिया सिर्फ अपना पक्ष रखा है.<br />आप अपना आशीर्वाद और स्नेह हमेशा बनाये रखेंगे. उससे मुझे वंचित नहीं करेंगे. मुझे ख़ुशी इस बात की है कि आप ने मेरी कविताएँ पढ़ी और उन्हें नोटिस किया.<br />सादर सस्नेह,<br />सुधाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-69911816296049260862009-05-07T07:51:00.000-07:002009-05-07T07:51:00.000-07:00Priya Chandel ji,
Sudha Om Dhingara ji ki kahani ...Priya Chandel ji,<br /><br />Sudha Om Dhingara ji ki kahani kabhi Vaatayan mein padhi thi. Sudha ji jitani sashakt kathakar hain utani sashakt unaki kavitayen hain. Khaskar Rishe aur 'Main ki fariyad' unaki ullekhaniya kavitayen hain.<br /><br />Aap dono ko badhai.<br /><br />JL GuptaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-70538253950264147942009-05-07T07:48:00.000-07:002009-05-07T07:48:00.000-07:00आदरणीय सुधा जी,
वातायन पर आपकी भावों से भरी कविताए...आदरणीय सुधा जी,<br />वातायन पर आपकी भावों से भरी कविताएँ पढ़ीं. आपका यह रूप भी उजागर हुआ.<br /><br />कविताएँ पढ़ते हुए कुछ विचार मन में उठे, वे यों हैं -<br />१. मन के भावों को ठीक-ठीक बयान करने का जरिया शब्द हैं, लेकिन शब्दों का दुर्भाग्य ये है कि वे बहुत सीमित हैं और अब तक भाषा इतनी समृद्ध नहीं हो पाई है कि मानस में चलने वाली उथल-पुथल को हूबहू उजागर कर सके. हालाँकि पद्य (कविता) के जरिये यह काफी हद तक बयान हो पाते हैं. मुक्तिबोध जैसे बड़े कवि ऐसा मानते हैं. <br /><br />२. उनका मानना है कि कविता करते हुए बहुत चौकस (सजग) रहने की जरूरत है. बहुत सोच-विचार करके (नाप-तौल कर) शब्दों का इस्तेमाल करना है. कविता पढ़ते हुए पाठक के विचारों को विस्तार (स्पेस) मिलना चाहिए (यह पहली और आवश्यक शर्त है). मुक्तिबोध आगे कहते हैं कि कविता विचारों को विस्तार देती है, जबकि गद्य बाँधता (सीमित) है.<br /><br />३. - श्री रामचंद्र कृपालु भज मन, हरण भव-भय दारुणं - को रामचंद्र शुक्ल सबसे बड़ी कविता मानते हैं. अब इसमें देखिये कि शब्दों के भीतर कितना बड़ा फलक (आकाश) समाया हुआ है. यह पद्य सुख-दुख और कैसी भी अवस्था में समान असर पैदा करता है.<br /><br />उपरोक्त बिंदुओं की कसौटी पर आपकी कविताएँ यत्किंचित खरी उतरती हैं. <br /><br />रिश्ते कविता व्यापक फलक लिये हुए है. इसे पढ़ते हुए - वोल्गा से गंगा - याद आता है.<br />वादा किया होगा - कविता में लरजते एहसास बयाँ होते हैं. <br /><br />सादर<br />आत्मारामAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-30353919024539828852009-05-06T20:37:00.000-07:002009-05-06T20:37:00.000-07:00आपकी भावों से भरी कविताएँ पढ़ीं. आपका यह रूप भी उज...आपकी भावों से भरी कविताएँ पढ़ीं. आपका यह रूप भी उजागर हुआ.<br />- रिश्ते - कविता व्यापक फलक लिये हुए है. इसे पढ़ते हुए - वोल्गा से गंगा - याद आता है.<br />- वादा किया होगा - कविता में लरजते एहसास बयाँ होते हैं.Atmaram Sharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-90541114170427157592009-05-06T09:45:00.000-07:002009-05-06T09:45:00.000-07:00सुधा जी की दस कविताओं में नि:संदेह अन्तिम कविता " ...सुधा जी की दस कविताओं में नि:संदेह अन्तिम कविता " माँ की फरियाद" एक असरदार कविता है । अन्य कविताएं बेशक इस कविता जैसा प्रभाव नहीं डालती हैं परन्तु वे बिलकुल नकार देने वाली कविताएं भी नहीं हैं। प्रेम और उससे जुड़े रिश्तों के अहसासों के आसपास की ये सहज -सी लगने वाली कविताएं भले ही बहुत बड़ी बात न करती हों, पर हमारे बहुत करीब की कविताएं हैं। "क्या पाया", "नज़रों से ओझल", और "खिलवाड़" कविताएं गहरी संवेदनात्मकता लिए हुए हैं। पहली कविता "रात भर" में सुधा जी ने एक शब्द "इंतज़ारती" का प्रयोग किया है। मेरे विचार में ऐसा कोई शब्द नहीं है। कविता में तुक निभाने के लिए प्रयोग किया गया लगता है। स्त्री के संदर्भ में अगर "इंतज़ारती" आया है तो पुरुष के संदर्भ में "इंतज़ारता" होगा जो मेरे ख़याल से और भी अटपटा लगेगा।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-23197000466006841122009-05-06T08:14:00.000-07:002009-05-06T08:14:00.000-07:00AAJ KEE CHARCHIT SAHITYAKAR SUDHA
OM DHINGRA KEE S...AAJ KEE CHARCHIT SAHITYAKAR SUDHA<br />OM DHINGRA KEE SABHEE 10 KAVITAYEN<br />PADH GAYAA HOON,.YUN TO UNKEE<br />SABHEE KAVITAYEN MUN KO CHHONE<br />WALEE HAIN LEKIN "Majbooree" aur<br />"Maa kee fariyaad" ne jhakjhor diya<br />hai.Seedhe-saade shabdon mein <br />bhavabhivyakti ati sundar ban padee<br />hai.Aesee behtreen kavitaayen kaa<br />jadoo kabhee-kabhee kavi/kaviyitri<br />kee lekhnee dikhatee hai.PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-12369929033762257972009-05-06T07:12:00.000-07:002009-05-06T07:12:00.000-07:00sudha ji
aap ko jitna padhti hoon utni hi aap ki ...sudha ji <br />aap ko jitna padhti hoon utni hi aap ki prashanka hoti jati hoon .man naman karne lagta hai .sari hi kavita apne me samarath hai kis ke bare me likhun kis ke bare me nahi soch nahi pa rahi hoon .<br />chandel ji ka dhanyavad ki unhone aap ki itni sunder kavitayen padhne ka avsar diya <br /><br />saader<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-55251134570326494362009-05-05T21:18:00.000-07:002009-05-05T21:18:00.000-07:00माँ की फरियाद कविता वाकई बहुत अच्छी है. इसका शिल्प...माँ की फरियाद कविता वाकई बहुत अच्छी है. इसका शिल्प नया तो नहीं लेकिन सुधा जी की इन्हीं कविताओं में से अलग है. अच्छी बात यह है कि यह कविता कृत्रिम नहीं लग रही है. धन्यवाद!विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-59004743298043382552009-05-05T11:01:30.302-07:002009-05-05T11:01:30.302-07:00SUDHA OM DHINGRA HINDI SAHITYA KAA
JAANAA-MAANAA H...SUDHA OM DHINGRA HINDI SAHITYA KAA<br />JAANAA-MAANAA HASTAKSHAR HAI.MAIN<br />KAEE SAALON UNKEE KAHANIYAN ,<br />KAVITAAYEN AUR SAKSHATKAR PADH RAHA<br />HOON.HAR VIDHA MEIN UNKEE LEKHNEE<br />BADEE KHOOBSURTEE SE CHALTEE HAI.<br />AAPKE BLOG PAR UNKEE 10 KAVITAAYEN<br />PADHNE KAA SAUBHAGYA PRAPT HUAA <br />HAIN.HAR KAVITA MEIN MUN KO CHHOO<br />LENE WAALAA KUCHH N KUCHH SANDESH<br />HAI.UMDAA KAVITAYEN KE LIYE SUDHA <br />JEE AUR AAPKO SAADHUVAAD.PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-417740764999982630.post-67240462305583402172009-05-05T09:15:00.000-07:002009-05-05T09:15:00.000-07:00सही बात तो यह है कि 10वीं कविता ने पूर्व की 9 कवित...सही बात तो यह है कि 10वीं कविता ने पूर्व की 9 कविताओं के प्रभाव को धो डाला। यह कविता अगर पहले नम्बर पर कम्पोज़ होती तो शेष 9 के प्रभाव को धो डालती, बीच में कहीं कम्पोज़ होकर यह आगे-पीछे वाली कविताओं को धो डालती। सही बात तो यह है कि इसने मुझे झिंझोड़ डाला है।बलराम अग्रवालnoreply@blogger.com