रविवार, 31 मई 2009

कविता



हरिपाल त्यागी की दो कविताएँ
कभी-कभी
कभी-कभी
मेहरबान हो उठते हैं
फूल क्यारी पर
खुद-ब-खुद
सहमे हुए बच्चे
कभी-कभी उछलने लगते हैं
खुद-ब-खुद
उमंग, उछाह और
किलकारियों के मुक्त छंद में
कभी-कभी
जाल पर फिदा हो जाती हैं
मछलियाँ
खुद-ब-खुद
शब्दों में
भरपूर ताकत के बावजूद
धरी रह जाती है तमाम कोशिश
कभी-कभी
पास... बहुत पास चली आती है कविता
खुद-ब-खुद।

डस्टबिन से उठती आवाज़
मैं आपके द्वारा
छांट दिया गया कूड़ा-कचरा हूँ
क्या आप पुनर्विचार करने का
कष्ट करेंगे जनाब ?
कुछ तो ऐसा भी छूट गया होगा
आपकी पारखी नज़र से
जो मुझ में श्रेष्ठ है
और/बचा हुआ है
आपके उपभोग की वस्तु होने से अभी तक
कुछ तो छूट ही गया होगा
आपकी मदभरी लापरवाह निगाहों से
पूरी चौकसी के बावजूद
कुछ तो...
मालूम से नामालूम तक मैं पसरा पड़ा हूँ
आपके इस डस्टबिन तक ही नहीं
आपके दिमाग तक भी पैठ है मेरी
मैं बता सकता हूँ आप को आपकी औकात
क्या आप गौर फरमाएँगे हुजूर ?
मैं खोल हूँ आपकी उस बुलट का
जिसकी बारूद आपने
जीवनमूल्यों और मानवता के
पेट में उतार दी है
मेरे ही ख़िलाफ आप कर रहे हैं मेरा इस्तेमाल
फिर भी
कुछ तो छूट ही गया होगा आपकी पैनी निगाह से
जो मुझमें और मेरे अलावा अभी शेष है
और काफी है आपका अस्तित्व मिटा देने के लिए
क्या आप पुनर्विचार करेंगे ?
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उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के महुवा गांव मे 20 अप्रैल, 1934 को जन्मे हरिपाल त्यागी शिक्षा प्राप्त करने के बाद विवाहोपरान्त 1955 में आजीविका की तलाश में पिता के साथ दिल्ली आ गये. चित्रकला, काष्ठ शिल्प कार्य और लेखन को अभिव्यक्ति का माध्यम चुना. अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं उल्लेखनीय पुस्तकों में पेण्टिंग्स तथा साहित्यिक रचनाएं प्रकाशित एवं संगृहीत. अनेक नगरों-महानगरों में एकल चित्रकला प्रदर्शनियां आयोजित एवं सामूहिक कला-प्रदर्शनियों में भागीदारी.'आदमी से आदमी तक'(शब्दचित्र एवं रेखाचित्र) भीमसेन त्यागी के साथ सहयोगी पुस्तक. 'महापुरुष' (साहित्य के महापुरुषों पर केन्द्रित व्यंग्यात्मक निबन्ध) एवं रेखाचित्र प्रकाशित.दो उपन्यास, एक कहानी संग्रह तथा संस्मरणॊं की एक पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य. 'भारतीय लेखक' (त्रामासिक पत्रिका) का सम्पादन.साहित्य एवं कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक बार पुरस्कृत-सम्मानित. देश-विदेश में पेण्टिंग्स संग्रहित.एफ़- 29, सादतपुर विस्तार, दिल्ली-110094फोन : 011-22961856E-mail : haripaltyagi@yahoo.com

2 टिप्‍पणियां:

बलराम अग्रवाल ने कहा…

त्यागीजी की दोनों कविताएँ स्तरीय हैं।

Dr. Sudha Om Dhingra ने कहा…

त्यागी जी की कविताएँ पसंद आईं.