शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2009

कविता


राधेश्याम तिवारी की एक कविता

बुश बुरा नहीं मानते

लो़ग बेवजह शंकित हैं
कि टाटा चाय की तरह
बुश बहुत कड़क हैं
न जाने वे किस बात का बुरा मान जाएं
जबकि बुश किसी बात का बुरा नहीं मानते
इराकी पत्रकार
मुतदार अल जै़दी के जूते मारने का
बुरा नहीं माना उन्होंने
जै़दी के दो जूते उन पर पड़े
एक, इराकी जनता की ओर से
दूसरा, वहां की विधवाओं की ओर से
अपनी ओर से तो उसका अभी बाकी ही है
बुश ने फिर भी मुस्कराते हुए कहा--
इसे मैं बुरा नहीं मानता
यह स्वतंत्र समाज का संकेत है

बुश का समाज
बहुत पहले से स्वतंत्र हो चुका है
जिसका इस्तेमाल कर उनके देश ने
दुनिया-भर में बम बरसाए हैं
और बेशुमार खून बहाया है
अगर कोई उनकी स्वतंत्रता को
बुरा मानता है
तो इसमें बुश का क्या दोष
लेकिन बुरा मानकर भी
अब वे जै़दी का क्या कर लेंगे

समय जो इतिहास में
दर्ज हो चुका है
उसे वे सद्दाम की तरह
फांसी पर तो चढ़ा नहीं सकते
और न ही फिलिस्तीनी जनता की तरह
उसे इतिहास के पन्नों से /दर-ब-दर कर सकते हैं
कुछ भी करके वे उस समय को
कैसे भूल सकते हैं
जिस समय में उन्हें जूते पड़े थे
बहुत करेंगे तो जै़दी को कीमा बनाकर
अपने प्यारे कुत्तों में बांट देंगे
मंदी के इस दौर में
उन्हें इसकी भी जरूरत है
कुत्तों के एक दिन का भोजन बचाकर
वे अपने लिए रख सकते हैं
लेकिन डर है कि इससे जै़दी तो
और ज़िंदा हो जाएगा
और लोग समझने लगेंगे कि
बुश सचमुच बुरा मान गए
जिससे जै़दी अपने मकसद में
कामयाब हो जाएगा

बुश यह जानते हैं
कि आतंक का विरोध करके मरना
आतंक सहकर ज़िंदा रहने से/अधिक कीमती है
इसलिए जूते मारने को वे
कभी बुरा नहीं मानेंगे.
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युवा कवि-पत्रकार राधेश्याम तिवारी का जन्म देवरिया जनपद (उत्तर प्रदेश) के ग्राम परसौनी में मजदूर दिवस अर्थात १ मई, १९६३ को हुआ।अब तक दो कविता संग्रह - 'सागर प्रश्न' और 'बारिश के बाद' प्रकाशित. हिन्दी की लगभग सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।सम्पादन - 'पृथ्वी के पक्ष में' (प्रकृति से जुड़ी हिन्दी कविताएं)पुरस्कार : राष्ट्रीय अज्ञेय शिखर सम्मान एवं नई धारा साहित्य सम्मान .संपर्क : एफ-119/1, फ़ेज -2,अंकुर एनक्लेवकरावल नगर,दिल्ली-110094मो० न० – 09313565061

3 टिप्‍पणियां:

सुभाष नीरव ने कहा…

एक बहुत करारे व्यंग्य को समेटे राधेश्याम तिवारी जी की यह कविता नि:संदेह एक सार्थक और पठनीय कविता है।

Dr. Sudha Om Dhingra ने कहा…

व्यंग्य लिए उत्तम एवं पठनीय कविता है.
बधाई --
सुधा

ashok andrey ने कहा…

aapke madhyam se tivari jee ki bahut sashakt kavitaen padne ko mili
badhai savikaren
ashok andrey