गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008

रपट


"कथाकार तेजेन्द्र शर्मा इन दिनों लन्दन से भारत पधारे हैं। २ अक्टूबर २००८ को उनके आई.टी. विशेषज्ञ पुत्र मयंक की सगाई मुंबई की उन्नति नारवेकर के साथ सम्पन्न हुई। उन्नति ने इसी वर्ष डेन्टिस्ट्री का इम्तहान पास किया है। अपने भारत प्रवास के दौरान तेजेन्द्र शर्मा ने नई दिल्ली, भोपाल एवं फ़रीदाबाद में अपनी कहानियों का अभिनय पाठ किया।

प्रस्तुत है सभी कार्यक्रमों की एक साझा रेपोर्ट:

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में कथाकार तेजेन्द्र शर्मा का कथापाठ....

अखिल भारतीय सांस्‍कृतिक पत्रकार संघ, नई दिल्‍ली द्वारा आयोजित मित्र संवाद व कहानी पाठ २५ सितम्‍बर २००८ की संध्‍या को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सफलतापूर्वक संपन्‍न हुआ। संचालक अजित राय ने इस पहली बैठक में पत्रकार संघ की रूपरेखा सामने रखते समय यह भी घोषणा की कि संघ की ओर से वर्ष में दो सांस्‍कृतिक संवाददाताओं को पुरस्‍कृत किया जाया करेगा।

(कहानी पाठ करते कथाकार तेजेन्द्र शर्मा)

इस अवसर पर लन्दन से पधारे कथाकार तेजेन्द्र शर्मा (महासचिव – कथा यू.के.) ने अपनी बहुचर्चित कहानी 'क़ब्र का मुनाफ़ा' का अभिनय पाठ किया। यह कहानी लन्दन में बसे दक्षिण एशियाई मुस्लिम समाज में मृत्यु का एक नया विमर्श सामने लाती है। जीवन में बाज़ार की घुसपैठ इस क़दर बढ़ गई है कि अंतिम संस्कार जैसे पवित्र रीति-रिवाजों का भी व्यापार होने लगा है। यह एक बड़े दृष्टिकोण की कहानी है जो खिलन्दड़े अन्दाज़ में मृत्यु जैसे गंभीर और डरावने विषय को उत्सव में बदल देती है। श्री तेजेन्‍द्र शर्मा के कहानी पाठ ने समां बांध दिया। लीक से हटकर लिखी गई उनकी कहानी 'क़ब्र का मुनाफ़ा' की रोमांचक करवटों से श्रोताओं को आनंद विभोर होते रहे। संवादों के अनुरूप स्‍वर के आरोह और अवरोह से प्रकट हो रहा था कि तेजेन्द्र शर्मा कथापाठ के सिद्धहस्त कलाकार हैं। उल्‍लेखनीय है कि साक्षात्‍कार के संपादक हरि भटनागर ने इंडिया टुडे के एक सर्वे में 'क़ब्र का मुनाफ़ा' को पिछले साठ साल में प्रकाशित बीस महत्‍वपूर्ण कहानियों में स्‍थान दिया है। कहानी एवं कहानी के अभिनय पाठ की सभी ने भूरि भूरि प्रशंसा की।

श्री तेजेन्द्र शर्मा एक चर्चित कथाकार होने के साथ ही, दूरदर्शन के शांति धारावाहिक के लिए लेखन कर चुके हैं तथा अन्नू् कपूर निर्देशित फिल्म अभय में नाना पाटेकर के साथ अभिनय भी कर चुके हैं। वे हिंदी साहित्य के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार 'इंदु शर्मा कथा सम्मान' प्रदान करने वाली संस्था 'कथा यू.के.' के महासचिव हैं। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित श्री शर्मा अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों में भी सहभागी रह चुके हैं।

(मंच पर स.श्री अशोक बाजपेई, राजेन्द्र यादव और तेजेन्द्र शर्मा)

ललित कला अकादमी के अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने तेजेन्द्र शर्मा की कहानी 'क़ब्र का मुनाफ़ा' पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक ऐसी सशक्त कहानी हो जो शुरू से आख़िर तक पाठकों को बान्धे रखती है। उन्होंने कहा कि कहानी का अभिनय पाठ एक अद्बुत नाटकीयता को सामने लाता है।

वरिष्ठ कथाकार असग़र वजाहत ने लन्दन के हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में अंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान प्राप्त करने के दौरान हुए अपने अनुभवों को दर्शकों के साथ बांटा। उन्होंने कहा कि तेजेन्द्र की कहानियां सामाजिक एवं निजी विसंगतियों को कलात्मक ढंग से सामने लाती हैं।

हंस के संपादक राजेन्द्र यादव ने सांस्कृतिक पत्रकारों के इस संगठन को एक नई पहल बताते हुए कहा कि इससे सांस्कृतिक ख़बरों के क्षेत्र में फैली अराजकता कुछ कम होगी। उन्होंने कहा कि 'क़ब्र का मुनाफ़ा' एक अनोखे विषय को ख़ास तरह की नाटकीयता के साथ गहराई से देखने की कोशिश है। इसे सुनने के बाद लगा कि कहानी पढना भी एक सांस्कृतिक गतिविधि है।


(इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर में कुछ मित्रों के साथ कथाकार तेजेन्द्र शर्मा)


सर्वश्री के. बिक्रम सिंह, नासिरा शर्मा, पद्मा सचदेव, विकास राय, देवेन्द्र राज अंकुर, डॉ. कमल कुमार, अशोक चक्रधर, विजय कुमार मल्होत्रा, उषा महाजन, रूप सिंह चन्देल, मंजीत ठाकुर, अशोक मिश्र, गीताश्री, उषा पाहवा, चंदीदत्त शुक्ल, राकेश पांडेय, विमलेश सांदलान, शरद शर्मा, जयंती, सुधीर सक्सेना, रमेश शर्मा, अजय नावरिया, अरूण कुमार जैमिनी, आलोक श्रीवास्तव, अनिल जोशी, रूपसिंह चंदेल, अविनाश वाचस्पति, अरूण माहेश्व,री, महेश भारद्वाज, अनुज अग्रवाल, पायल शर्मा इत्यादि की उपस्थिति ने समारोह को एक गरिमा प्रदान की। समारोह में खूब ठहाके लगे और इसने एक स्तरीय कवि सम्मेलन का सा लुत्फ प्रदान किया।... अंत में अमर उजाला के श्री अरुण आदित्य ने आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन किया। पर अंत तक यह रहस्य सुलझ न सका कि नामवर सिंह कहीं हवा में ही अटके रहे या दिल्ली के ट्रैफिक में उलझे रहे क्योंकि यह बतलाया गया था कि वे कहीं बाहर हैं और हवाई जहाज़ से इस समारोह में दिल्ली पहुंच रहे हैं...
प्रस्तुति : रू.सिं.च.

कथाकार तेजेन्द्र शर्मा का भोपाल में रचना पाठ.....

हरि भटनागर

प्रसिद्ध कथाकार एवं अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान के प्रमुख कर्ता-धर्ता, लंदनवासी तेजेन्द्र शर्मा का भोपाल में रचना-पाठ आयोजित किया गया। रचना-पाठ की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार मुकेश वर्मा एवं विजय वाते ने की।

श्री तेजेन्द्र शर्मा ने अपनी दो कहानियों – 'तरकीब' एवं 'देह की कीमत' का अभिनय पाठ किया। पाठ से पूर्व उन्होंने कथाकार श्री हरि भटनागर द्वारा संपादित एवं वरिष्ठ रचनाकार स्व. प्रभा खैतान द्वारा अनुदित एवं प्रस्तुत – लेव तॉलस्तॉय की पत्नी सोफ़िया तॉलस्तोया की डायरी लिये 'रचना समय' के अंकों का लोकार्पण किया। तेजेन्द्र शर्मा ने प्रभा खैतान की असमय मृत्यु पर दुःख व्यक्त करते हुए उनके साहित्यिक अवदान के साथ उन्हें याद किया। सोफ़िया तॉलस्तोया की डायरी के बारे में उन्होंने कहा, " यह डायरी तत्कालीन रूस और लेव तॉलस्तॉय के निजी एवं इनके ढंके मुंदे जीवन प्रसंगों को अनावृत करती है। एक तरह से यह डायरी ज़ारशाही व्यवस्था और महान् रचनाकार तॉलस्तॉय के साथ सोफ़िया तॉलस्तोया के जीवन का – नारी जीवन का महा-आख्यान है।"

श्री तेजेन्द्र शर्मा की कहानियों पर चर्चा आरम्भ करते हुए प्रख्यात कवि एवं व्यंग्य रचनाकार जब्बार ढांकवाला ने कहा कि दोनों ही कहानियां नायाब हैं। उन्होंने कहा कि 'तरकीब' कहानी मुस्लिम समाज की विसंगतियों को व्यंजित करती है जो अपनी प्रस्तुति में अनोखी है। उन्होंने 'देह की कीमत' कहानी को आज के जटिल समय और उसकी विद्रूपता का पर्याय बताया। चित्रकार मंजूषा गांगुली ने चित्रकार जनगण सिंह श्याम को याद किया। उन्होंने कहा कि 'देह की कीमत' कहानी का चरित्र जिस तरह महत्वाकांक्षा की दौड़ में मृत्यु के मुंह में समाता है, मुझे यह कहानी जनगण सिंह श्याम की याद दिलाती है। उन्होंने दोनो कहानियों की सराहना की। युवा आलोचक आनन्द कुमार सिंह ने एक तरफ़ 'देह की कीमत' को वेल-रिटन एवं फ़िनिश्ड कहते हुए उसकी तारीफ़ की वहीं दूसरी कहानी 'तरकीब' के बारे में उनकी धारणा थी कि यह कहानी अपनी प्रस्तुति में कमज़ोर है। कहानी अपने कथ्य को गहरे विमर्श के साथ अभिव्यक्त नहीं कर पाई है।

कथाकार हरि भटनागर ने 'देह की कीमत' कहानी को आजकी एक विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण कहानी बताते हुए कहा कि यह कहानी आज के पूंजीवादी समाज के पतन की गाथा है। उन्होंने कहा कि आज का विद्रूप समय हमे कहीं का नहीं छोड़ रहा है और अन्ततः हमें उसका ख़मियाज़ा अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है। उनका मानना था कि यह कहानी कथ्य एवं शिल्प में बेजोड़ है। यही वजह है कि जब मैंने 'इंडिया टुडे' द्वारा आयोजित ५० वर्षों की २० श्रेष्ठ कहानियों का मूल्यांकन किया तो मुझे 'देह की कीमत' एवं 'क़ब्र का मुनाफ़ा' में से किसी एक को चुन पाना बहुत दुष्कर कार्य लगा।

युवा कवि रवीन्द्र प्रजापति ने कहा कि दोनों कहानियां कहन और प्रस्तुतिकरण में आधुनिक और अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी कहानी का सबल नमूना हैं। गीतकार राजेन्द्र जोशी ने दोनों कहानियों की विशद मीमांसा प्रस्तुत करते हुए कहा कि दोनों कहानियों में सहजता है जो सीधे दिल-ओ-दिमाग़ को प्रभावित करती है। 'समीरा' पत्रिका की संपादक मीरा सिंह ने 'तरकीब' कहानी की विषय वस्तु की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कहानी हर देश की नारी पीड़ा और पुरुष-वर्चस्व को व्यंजित करती है। कथा लेखिका स्वाती तिवारी ने दोनों कहानियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि दोनों कहानियां निश्चित ही आज के समय की विसंगति को अभिव्यक्ति देती हैं। उन्होंने तेजेन्द्र शर्मा की पाठ प्रस्तुति की भी भूरि भूरि प्रशंसा की। व्यंग्यकार वीरेन्द्र जैन ने कहा कि दोनों कहानियां मर्म को छूने वाली यादगार कहानियां हैं।
श्री विजय वाते ने दोनों कहानियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि दोनों कहानियां निश्चित ही आज के समय की विसंगतियों को अभिव्यक्ति देती हैं। उन्होंने कहा कि 'तरकीब' कहानी में तेजेन्द्र शर्मा ने मुस्लिम समाज के पुरुष वर्चस्व को बहुत बारीक़ी से छुआ है। डा. शिरीष शर्मा ने 'तरकीब' कहानी को मुस्लिम समाज में पुरुष की क्रूरता का उत्कृष्ठ नमूना कहा। कथाकार मुकेश वर्मा ने कहा कि लम्बे अर्से के बाद ऐसी कहानियां सुनने को मिलीं जो प्रस्तुति और विचार के स्तर पर ऐसी हैं जिनसे हमारे अंदर विचार की यात्रा शुरू कर दी है।

कथा लेखिका उर्मिला शिरीष के जानकी नगर स्थित आवास पर हुए इस रचनापाठ का संचालन उर्मिला शिरीष ने ही किया। उन्होंने कहानियों की सराहना करते हुए कहा कि दोनों कहानियां यादगार कहानियां हैं जो निश्चित रूप से आज के विषमतामूलक समय की पड़ताल करती हैं। एक तरह से ये कहानियां समय के सच की ओर हमारा ध्यान खींचती हैं।

रचनापाठ में अन्य लोगों के अतिरिक्त सर्वश्री बृजनारायण शर्मा, रामनिवास झा, अनवार-ए-इस्लाम, अनिल करमेले और मृत्युंजय शर्मा भी उपस्थित थे।

तेजेन्द्र शर्मा का फ़रीदाबाद में कथा पाठ.....

फ़रीदाबाद के डी.ए.वी. कॉलेज में तेजेन्द्र शर्मा ने अपनी कहानी 'देह की कीमत' का अभिनय पाठ किया। वरिष्ठ पत्रकार अजित राय ने हॉल में उपस्थित १५० विद्यार्थियों को तेजेन्द्र शर्मा का परिचय दिया। कार्यक्रम में तेजेन्द्र शर्मा एवं उनकी माता श्रीमती सुरक्षा शर्मा का पुष्पगुच्छ दे कर स्वागत किया गया। तेजेन्द्र शर्मा के कहानी पाठ से मंत्रमुग्ध श्रोताओं के हाव भाव से साफ़ ज़ाहिर हो रहा था कि वे किस गहराई तक कहानी में डूबे हुए हैं।

कहानी पाठ के पश्चात विद्यार्थियों ने करतल ध्वनि से अपनी तारीफ़ को अभिव्यक्ति दी। कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री अहूजा ने कहानी की तारीफ़ करते हुए कहा कि उन्होंने अपने विद्यार्थियों को कभी भी किसी पाठ में इतना मग्न होते नहीं देखा। कहानी के विषय, कथावस्तु, शिल्प एवं पाठ को अद्वितीय बताते हुए उन्होंने तेजेन्द्र शर्मा को खुली दावत दे डाली कि वे जब कभी भी भारत आएं, डी.ए.वी. कॉलेज के छात्रों को अपनी रचना सुनाने अवश्य आएं। हिन्दी विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शुभ तनेजा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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