गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

सोफिया अंद्रेएव्ना की डायरी



मार्च २, १८९४

क्या ही चमकदार धूपवाला दिन था. यह देख लेव निकोलायेविच ने विशेष उत्साहित भाव से दुनायेव के साथ मशरुम खरीदने बाजार के लिए प्रस्थान किया. उन्होंने बताया कि वह किसानों को मशरूम, शहद, करौंदा आदि बेचता हुआ देखना चाहते थे.


सोफिया अंद्रेएव्ना तोल्स्तोया




जून १, १८९७

लेव निकोलायेविच कला के विषय में एक आलेख लिख रहे हैं और मैं डिनर के समय से पहले उनसे मुश्किल से ही मिल पाती हूं. तीन बजे उन्होंने मुझे घुड़सवारी पर चलने के लिए आमन्त्रित किया----- दुन्यायेव के साथ हम जसेका के खूबसूरत ग्राम्यांचल से होकर गुजरे. हम एक बेल्जियन कम्पनी द्वारा परिचालित अयस्क खदान के निकट रुके, और पुनः एक परित्यक्त बंजर स्थान (’डेड किंगडम’ ) पर ठहरे, और दर्रा से नीचे उतरे और फिर ऊपर चढ़े. लेव निकोलायेविच असाधारणरूप से मेरे प्रति सहृदय और भद्र थे.

जून ७, १८९७

लेव निकोलायेविच ने ----- तान्या द्वारा नियमित मंगायी जाने वाली कला पत्रिका ’सैलोन’ में ड्राइंग देखते हुए प्रसन्नतापूर्वक शाम व्यतीत की.

जून १७, १८९७

आज मरणासन्न मुझिक कोन्स्तान्तिन को देखने लेव निकोलायेविच दो बार गये थे.

जून १९, १८९७

हम लोग लेव निकोलायेविच से मिले, क्योंकि वह उस व्यक्ति से मिलने जा रहे थे, जिसे खोद्यान्का दुर्घटना** पर कविता लिखने के लिए जेल में डाल दिया गया था. लेव निकोलायेविच व्यग्रतापूर्वक कला पर अपना आलेख लगातार लिख रहे हैं और उसे वे लगभग समाप्त कर चुके हैं. वह दूसरा कुछ भी नहीं कर रहे. शाम को रेव्यू ब्लैंच (Revue Blanche) से उन्होंने हमें एक फ्रेंच कॉमेडी पढ़कर सुनाई.

(** खोद्यान्का दुर्घटना १८ मई , १८६६ को घटित हुई थी. खोद्यान्सकोये के दलदले मैदान में निकोलस द्वितीय के राज्याभिषेक के अवसर पर उपहार प्राप्त करने के लिए हजारों की संख्या में एकत्रित लोग दलदले मैदाने में खराब बनी छत के ढह गिरने से कुचलकर मारे गये थे.)


जुलाई १५, १८९७

इस समय सुबह के दो बजे हैं और मैं लगातार नकल (पाण्डुलिपि की ) तैयार कर रहीं हूं. यह भयानक रूप से थकाऊ और श्रमसाध्य कार्य है. बड़ी बात यह कि जो कुछ भी मैं आज नकल करूंगी, निश्चित ही उसे खारिज कर लेव निकोलायेविच कल पूरी तरह उसका पुनर्लेखन करेंगे. वह कितना धैर्यवान और अध्यवसायी हैं----- यह आश्चर्यजनक है.

अगस्त १, १८९७

आज लेव निकोलायेविच ने तीन घण्टे तक रुचिपूर्वक लॉन टेनिस खेला, फिर घोड़े पर कोज्लोव्का चले गये. वह अपनी बाइसिकल पर जाना चाहते थे, लेकिन वह टूटी हुई थी. हां, आज उन्होंने बहुत लिखा, और सामान्यतया फुर्तीले, प्रसन्न और स्वस्थ प्रतीत हो रहे थे. वह कितने असाधारण हैं.

अगस्त ५, १८९७

शाम . लेव निकोलायेविच घोड़े पर ग्यासोयेदोवो उन परिवारों को पैसे देने गये जिनके घर जल गये थे. इन दिनों वह कसात्किन, गिन्त्सबर्ग, सोबोलेव, और गोल्डेनवाइजर के लिए कला पर अपना आलेख पढ़ रहे हैं.

दिसम्बर २१, १८९७ (मास्को)

आज सुबह लेव निकोलायेविच ने हमारे बगीचे की बर्फ की सफाई की और स्केटिगं की, फिर वह घोड़े पर सवार होकर वोरोब्वायी हिल्स और उससे आगे गये. किसी कारण वह काम करने की मनः स्थिति में नहीं हैं.


दिसम्बर २९, १८९७

डिनर के बाद लेव निकोलायेविच और मैंने शुबर्ट का ट्रैजिक सिम्फनी बजाया . पहले उन्होंने कहा कि संगीत नीरस और निरर्थक है. फिर उन्होंने आनंदपूर्वक बजाया, लेकिन जल्दी ही थक गये.

जनवरी ६, १८९८

लेव निकोलायेविच अभी तक भी काकेशस के जीवन और भौगोलिक स्थितियों ----- सभी कुछ का अध्ययन कर रहे हैं. शायद काकेशस सम्बन्धी कुछ लिखना चाहते हैं.

जनवरी ८, १८९८

कल रात रेपिन ने हमारे साथ भोजन किया और पेण्टिंग के लिए कोई विषय सुझाने के लिए लेव निकोलायेविच से कहते रहे. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि मृत्यु से पहले अपने में बची ऊर्जा का वह भरपूर उपयोग पेण्टिंग के लिए करें और कुछ ऎसा महत्वपूर्ण करें जो उनके श्रम की सार्थकता सिद्ध कर सके. लेव निकोलायेविच अभी तक उन्हें कोई सुझाव नहीं दे पाये लेकिन उस विषय में निरंतर सोच अवश्य रहे हैं.

जनवरी २१, १८९८

सोन्या ममोनोवा, लेव निकोलायेविच और मैं पूरे दिन साधारण जन के लिए एक ग्रामीण समाचार पत्र के विषय में चर्चा करते रहे. समाचार पत्र का उद्देश्य उनके पढ़ने के लिए कुछ रुचिकर सामग्री देना होगा. लेव निकोलायेविच ने इस विचार को इतनी गंभीरता से लिया कि उन्होंने सितिन (लोकप्रिय और पुनर्मुद्रित पुस्तकों के प्रकाशक) को आमन्त्रित किया कि आकर वह उस कार्य को सम्पन्न करने के लिए वित्तीय सहायता पर चर्चा करें.

जनवरी २६, १८९८

अभी लेव निकोलायेविच आये और बोले, "मैं तुम्हारे साथ बैठना चाहता हूं," उन्होंने सात पाउण्ड के दो ’वेट’ दिखाये जिन्हें उन्होंने जिमनास्टिक व्यायाम के लिए आज ही खरीदा था. वह बहुत उदासीन हैं और कहते रहे ,"मैं एक सत्तर वर्षीय व्यक्ति जैसा अनुभव करता हूं." सच यह है कि वह अगस्त में सत्तर वर्ष के हो जायेगें, यही , अब से छः महीने बाद. आज अपरान्ह उन्होंने बर्फ साफ की और स्केटिंग किया. लेकिन मानसिक कार्य से वह थकान
अनुभव करते हैं, और यही सर्वाधिक उनकी चिन्ता का कारण है.

फरवरी १, १८९८

कला पर बात करते हुए आज लेव निकोलायेविच ने बहुत से कामों का उल्लेख किया जिन्हें वह महत्वपूर्ण मानते हैं. उदाहरण के लिए ---- शेव्जेन्को का ’दि सर्वेण्ट गर्ल’ , विक्टर ह्यूगो के उपन्यास , क्राम्स्काई की मार्च करती हुई सेना और खिड़की से उसे देखती एक युवा स्त्री, बच्ची और धाय की ड्राइंग, साइबेरिया में सोते हुए अपराधियों और उनके साथ जाग रहे एक वृद्ध की सुरीकोव की ड्राइंग, और उन्ही की एक अन्य ड्राइंग जिसे उन्होंने लेव निकोलायेविच की कहानी ’गॉड नोज दि ट्रुथ’ के लिए बनाया था. उन्होंने एक मछुआरे की पत्नी की कहानी -- मुझे याद नहीं किसकी --- संभवतः ह्यूगो की -- का भी उल्लेख किया जिसके स्वयं अपने पांच बच्चे थे, लेकिन जिसने एक दूसरे मछुआरे की पत्नी के जुड़वां बच्चों को पालन-पोषण के लिए लिया था, प्रसव के दौरान जिसकी मृत्यु हो गयी थी. जब उस भली महिला का पति घर आया और उसकी पत्नी ने उन बच्चों की मां की मृत्यु के विषय में उसे बताया, वह बोला, "अच्छा , हमें उन बच्चों को घर ले आना चाहिए." उसके बाद उसकी पत्नी ने पर्दा हटाते हुए उसे दिखाया कि यह काम वह पहले ही कर चुकी थी. चर्चा में उन्होंने बहुत-सी अन्य बातों का उल्लेख किया.

फरवरी १६, १८९८

शाम लेव निकोलायेविच ने शिलर का ’रॉबर्स’ पढ़ा, और उसे लेकर बहुत उत्साहित थे.

मार्च १४, १८९८

कल एस.आई. तानेयेव हमारे यहां आए-------उन्होंने सुन्दर स्वर संगति के साथ पियानो बजाया और उसके विषय में लेव निकोलायेविच की राय जाननी चाही. बहुत गंभीरता और आदर के साथ लेव निकोलायेविच ने उनसे कहा कि उनकी स्वर-संगति में, जैसा कि सभी नये संगीत में है, राग, लय अथवा संगति का भी तर्क-संगत विकास नहीं है. कोई जैसे ही राग पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करता है, वैसे ही वह टूट जाता है, जैसे ही कोई लय पकड़ता है, वह बदल जाती है. व्यक्ति हर समय असंतोष अनुभव करता रहता है, जब कि वास्तविक कला में व्यक्ति ऎसा अनुभव नहीं करता. प्रारंभ से ही पदबन्ध अनिवर्य होता है.

अप्रैल १५, १८९८

लेव निकोलायेविच ने घोषणा की इल्या के साथ रहने के लिए वह परसों देहात के लिए प्रस्थान करेंगे, क्योंकि शहरी जीवन उन्हें कष्टप्रद लगता है और यह कि जरूरमंद लोगों में बांटने के लिए उनके पास १४०० रूबल हैं.

अप्रैल २१, १८९८

शाम के समय तानेयेव आ गये और उन्होंने और लेव निकोलायेविच ने अनेक दिलचस्प विषयों पर जीवंत बातें की. त्रुबेत्स्कोई भी आ मिले. उन्होंने कला, संगीत-शिक्षालय संबन्धी मामलों, जीवन की संक्षिप्तता और समय प्रबन्धन की योग्यता जिससे भले कामों में प्रत्येक मिनट का उपयोग हो सके और लोग और कार्य लाभान्वित हों सकें आदि विषयों पर चर्चा की.

जून १२, १८९८

शाम के समय, लेव निकोलायेविच ने , जो बाल्कनी में बैठे हुए थे, हल करने के लिए हमें एक पहेली दी. उन्होंने अपनी मन पसंद घास काटने वाली समस्या दोहराई. वह इस प्रकार है :

घास के दो मैदान हैं. एक बड़ा और एक छोटा. घास काटने वाले बड़े मैदान में पहुंचे और पूरी सुबह घास काटते रहे. अपरान्ह समय, आधे काटने वालों को छोटे मैदान में भेज दिया गया. दिन समाप्त होने तक बड़ा घास का मैदान पूरी तरह काट दिया गया था, जबकि छोटे घास के मैदान में एक व्यक्ति के लिए पूरे एक दिन का काम शेष था.

तो कितने घास काटने वाले थे ? उत्तर है -- आठ. ३/४ काटने वालों ने बड़े और ३/८ ने अर्थात २/८ और १/८ ने, दूसरे शब्दों में, एक आदमी ने, दूसरे मैदान को काट लिया. यदि एक व्यक्ति १/८ है तब कुल आठ व्यक्ति होने चाहिए.

यह लेव निकोलायेविच की मनपसंद पहेली है और वह सभी को उसे हल करने में लगा देते हैं.

अगस्त २२, १८९८

शाम लेव निकोलायेविच ने हम लोगों को ’दि मदर’, ’दि कूपन’, ’कुज्मिक - अलेक्जेण्डर प्रथम’ जैसे कहानी के विषय सुनाकर अत्यंत सजीव और प्रभावशाली ढंग से मनोरंजन किया.

अगस्त २२, १८९८

सुबह लेव निकोलायेविच ने ’रेसरेक्शन’ पर काम किया और आज के अपने काम से बहुत प्रसन्न थे. जब मैं उनके पास गयी वह बोले, "वह उससे शादी नहीं करेगा.मैंने इसे समाप्त कर दिया. मैं निष्कर्ष के विषय में सुस्पष्ट हूं और इससे मुझे अच्छा अनुभव हो रहा है."

सितम्बर ११, १८९८

लेव की बहन मारिया निकोलायेव्ना बहुत खुशमिजाज, स्नेही, सहृदय, और जिन्दादिल इंसान हैं. शाम बहुत देर पहले वह और लेव निकोलायेविच यहां अपने बचपन को याद कर रहे थे. वह बहुत मनोरंजक था. मारिया ने हमें बताया कि एक बार, जब लेव १५ वर्ष के थे, वे पिरोगोवो जा रहे थे और केवल प्रदर्शन के लिए वह ५ वर्स्ट (वेर्स्त) तक गाड़ी के पीछे दौड़ते रहे थे. घोड़े दौड़ रहे थे और लेव पिछड़े नहीं थे. जब उहोंने गाड़ी रोंकी तब उनकी सांस इस प्रकार फूल रही थी कि उन्हें देख मारिया फूट-फूटकर रो पड़ी थीं.

एक और समय अंकल युश्कोव की जागीर पानोवो के गांव कजान गुबेर्निया में कुछ युवा स्त्रियों को दिखाने के लिए कपड़ों सहित ही उन्होंने तालाब में छलांग लगा दी थी. अचानक उन्हें पता लगा कि पानी उनके सिर से बहुत ऊपर था और यदि किसी घसियारन ने अपना रस्सा डालकर उन्हें नहीं बचाया होता तो निश्चित ही वह डूब गये होते.

सितम्बर २८, १८९८

मिखाइल स्ताखोविच ----- लेव निकोलायेविच ऑरेल से साथ आये. लेव निकोलायेविच अपने उपन्यास ’रेसरेक्शन’ के सम्बन्ध में वहां एक जेल देखने गये थे. वह उसमें गहनता से तल्लीन हैं. पाण्डुलिपि पर निरंतर काम कर रहे हैं और अनुवाद के लिए उसके अनेक अध्याय विदेश भेज चुके हैं. आज उन्होंने एक कट्टर धार्मिक व्यक्ति से लंबी बातचीत की, जिसे एक बार हड़ताल में भाग लेने के कारण देश से निकाल दिया गया था और चार महीने उसने जेल में काटे थे. लेव निकोलायेविच उसकी कहानियों से मंत्रमुग्घ थे.

नवम्बर १४, १८९८

अपने पति के कार्य के विषय में मैंने उनसे लंबी वार्ता की-----उन्होंने कहा कि ’युद्ध और शांति’ के बाद वह अपने अच्छे ’फार्म’ में नहीं हैं और ’रेसरेक्शन’ से बहुत अधिक संतुष्ट हैं.

दिसम्बर १६, १८९८

लेव निकोलायेविच ने पुनः हमें जेरोम के. जेरोम (Jerome K. Jerome) पढ़कर सुनाया, और हंसे. हमने लंबे समय से उन्हें हंसते हुए नहीं देखा था.
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1 टिप्पणी:

ashok andrey ने कहा…

dairy ke sundar aansh padvane ke liye mai tumhaara aabhar vyakt karta hoon.